वक्ता: डॉ. डॉमिनिक मारबनियंग
''कुरियन थॉमस के चार दुश्मन हैं: संसार, शरीर, शैतान, और कुरियन थॉमस। आखिरी दुश्मन सब से खतरनाक हैं।'' -डॉ कुरियन थॉमस
कहा जाता है कि लंदन के टाईम मैगज़ीन ने एक बार ''संसार के साथ क्या समस्या है'' विषय पर कुछ लेख प्रकाशित किये थे। सब से लघु उत्तर विख्यात लेखक चेस्टरटन ने भेजा, और वह इस प्रकार था:
आदर्णीय सम्पादक महोदय,
आपके प्रश्न के संबंध में कि ''संसार के साथ क्या समस्या है'',
मै हुँ,
आपका
जी.के. चेस्टरटन
एक पादरी साहब रविवार सुबह के लिए संदेश बनाने में व्यस्त थे। तभी उनका बेटा आकर जिदद् करने लग गया कि ''आओ, पापा, मेरे साथ खेलो''। परेशान हो पिताजी ने एक विश्व के मानचित्र को 10 टुकडों में फाड़ कर बेटे को दिया और कहा कि ''जाओ इसे सही कर के लाओं।'' वे सोच रहे थे कि इस से बेटा व्यस्त हो जाएगा और उनको तैयारी का समय मिल जाएगा। लेकिन बेटा थोडी ही देर में लौट गया, और वह मानचित्र भी सही कर लाया था। चकित हो जब पिता ने पूछा किे वह इतना जलदी इसे कैसे ठीक कर दिया, तो बेटे ने उत्तर दिया ''सरल था: जब आप नक्शा फाड़ रहे थे तो मैने देखा कि पीछे एक मनुष्य का चित्र है। बस, मै समझ गया कि यदी मनुष्य को ठीक कर दिया जाए तो दुनिया भी ठीक हो जाएगा। सो, मैने मनुष्य को ठीक कर दिया तो दुनिया का नक्शा भी ठीक हो गया।''
पादरी साहब को अगले दिन के लिए संदेश मिल गया था।
मनुष्य ही समस्या है और वह अपना स्वयं का सबसे घातक शत्रु हैं।
मनुष्य स्वयं अपना ही इतना बडा शत्रु क्यों है ? आईए देखें:
1.क्योंकि वह पाप के हाथ बिका हुआ हैं। (रोम 7:14) – पाप उसका स्वामी है। वह जो चाहता है उसे नही कर पाता है, परन्तु जो नही चाहता है उसे ही कर बैठता है।2.क्योंकि उस में कोई भी भली बात नही है। (रोम.7:18)– शिक्षा शायद मनुष्य को सभ्यता का वस्त्र पहना सकती है, परन्तु उसके स्वभाव को बदल नहीं सकती है।
एक क्वाज़ी के पास उसका मित्र अपनी समस्या बता रहा था। उसका बेटा बडा ही अनाज्ञाकारी था। क्वाज़ी ने सलाह दिया कि बेटे को अच्छी शिक्षा दी जाए। उसने अपनी ही बिल्ली का उदाहरण देते कहा कि ''देखो इसे, यदी इसे प्रशिक्षण नही दिए होते तो क्या यह ऐसा खामोश और शान्त बैठा रहता? हमने इसे हमारी आदेशों का पालन करना सिखाया।'' इस बुद्धिमानी के शाब्दों को सुनकर मित्र वापस लौटा। फिर कुछ वर्षों के बाद वह लौटा, तो क्वाज़ी ने बेटे का हाल पूछा। मित्र ने अपने साथा लाए एक छोटे से बक्से को खोल दिया, और तुरन्त उसमें से एक चूंहा छलांग लगाकर बाहर निकला। इसे देखकर बिल्ली से रहा नही गया। वह भी छलांग लगायी और उसके पीछे दौडने लगी। मित्र ने कहा ''क्यों, शिाक्षा तो सभ्य बनाती है, पर स्वभाव तो वैसे का वैसा ही है।'' कया इसमें कोई संदेह है कि संसार के शिक्षित वर्ग पाप और लालच से अछूता? हम इस बात को भली भांति जानते है। बिना ईश्वर की सहायता के कौन व्यक्ति
3.क्योंकि वह शारिरिक हैं और शरीर के कायों का गुलाम हैं (रोम.7:5)
4.कयोंकि उसका मन परमेश्वर का शत्रु हैं और वह परमेश्वर की व्यवस्था का आधीन नही हो सकता। (रोम.8:7)
5. क्योंकि वह अपने ही विरुद्ध में जंग करता हैं। (याकूब 4:1, 1पत. 2:11)
6.क्योकि वह अपने ही आप को समझने में गलती करता हैं और अहंकार या निराशा से अपने आप को घायल कर देता है। (यशयाह .14:12 में शैतान की यही समस्या थी- वह अहंकार से ग्रसित था।
7. क्योंकि वह मूर्खता और बावलापन से भरा हुआ है। (सभोपदेशक 9:3)
8.क्योकि उसका मन धोखा देने वाला मन है। (यर्म.17:9). वह मुझे गलत बातों को सही सोचने का भ्रम में डालता हैं।. ग्लास में नाचते लाल शराब मुझे विष के बदले प्रमोद प्रतीत होता है।.
9.क्योंकि उसका विवेक दूषित हो गया हैं और भलाई और बुराई मे सही फ़र्क नही बता पाता (तीतुस 1:15)
10.क्योंकि वह अपने आप से भाग नहीं पाता। आप जहा कही जाएं आप अपने आप को वही पातें हैं। एक बालक अपने परछाई से भागता हुआ अपनी मां के पास गया और कहने लगा ''देखों न मां, यह पीछे पीछे आता है।'' क्या कोई अपनी ही परछाई से भाग सक है।
11.क्योंकि वह अपना ही विरोध करता है और एक विरोधक और असंगत जीवन शैली उत्पन्न करता है। (प्रेरित 18:6, तिम.2:25, KJV)
2 गलत मार्गें जिससे समस्या और जटिल हो जाती है:
1.बढ़प्पन: शक्ति, रुपैया, शान और शौकत, या धार्मिक प्रभाव की चेष्टा2.बचावपन: नशीली पदार्थों की सेवन, गलत यौन सम्बंध, पार्टियां, शराब इत्यादी अपने आप से बचने के मार्ग
समस्या का समाधान केवल यीशु मसीह ही है।अपने देहधारण में उसने अपने आप को शून्य कर हमारे उद्धार के लिए मानव रूप धारण किया।
क्रूस पर पापों के बदले बलिदान देकर उसने हमें हमारी पापमय अवस्था से बचने का मार्ग तैयार किया।
मृतकों में से जी उठकर उसने हमें नया जीवन जीने का सामर्थ उपलब्ध कराया। सो जो मसीह में हैं वे नई सृष्टि हैं और उसके पुनुरुत्थान का सामर्थ उनमें विश्वास के द्वारा काम करता है।
जिस दशा में हम है, उसी दशा में वह हमसे प्यार करता है।
जिस दशा में हम है, उसी दशा में वह हमें अपने पास बुलाता है।
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