Living Word Chapel, Sanjaynagar
October 11, 2011
Dr. Domenic Marbaniang
परमेश्वर चाहता है कि हमारा परिवार सुखी हो। आज हम सुखी परिवार के सात लक्षण देखेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नही की लक्षण सात ही है। जैसे जैसे आप और नई बातें सीखेंगे आप इसमें जोडते जाएं।
निम्न बिन्दुओं पर गौर करें। संक्षिप्त में विवरण भी दिए गएं है।
1. स्नेह (Love)
परिवार में स्नेह भावना आवश्यक है। परमेश्वर चाहता है कि परिवार ही स्नेह का सर्वोत्तम स्थान बनें। जब परिवार में इसकी कमी होती है तो सदस्य घर से बाहर स्नेह की तालाश करते है जिसके कारण परिवार की मजबूती ज्यादा नही रह पाती है।2. समझ (Understanding)
आपसी मतभेद के बावजूद एक दूसरे को समझने का प्रयास करना अतिआवश्यक है। कई बार सदस्य एक दूसरे पर दोश लगाने लगते है कि वे समझते नही या ये समझते नही। दोश लगाने से कुछ भला नही होता। समझ प्रेम और विश्वास का बंधन है।3. समर्पण (Devotedness)
परिवार मे लक्ष्य एवं समर्पण की भावना होना चाहिए। समर्पण आपसी हो और लक्ष्य पर केंद्रित हो। यहोशु को याद करे जिसने कहा कि वह अपने घराने समेत ईश्वर की सेवा करेगा। समर्पण एवं कर्तव्य निष्ठा साथ साथ चलते है।घर के अध्यक्ष का परिवार के लिए कुछ लक्ष्य रखें है। ईश्वर भी जगत में पारिवारिक उददेश्य रखता है। उददेश्य समर्पण को निर्धारित करता है।
4. स्वास्थ्य (Health)
ईश्वर न केवल दैवीय चंगाई देता हे बल्कि दैवीय स्वास्थ भी प्रदान करता है। लेकिन हमें इसके विषय में बेपरवाही नही होना चाहिए। खानपान, रहन सहन, रख रखाव इन सारी बातों पर स्वास्थ केंद्रित ध्यान धरें।5. सम्मान (Honor)
एक दूसरे को सम्मान दें। त्रिएक परमेश्वर हमारे लिए आदर्श है। पिता पुत्र और पवित्रात्मा के बीच जिस प्रकार आपसी सम्मान की भावना है, वही भावना परिवार के सम्मान को भी बढ़ाता है।6. सलाह (Counsel)
सलाह एवं सम्मति परिवार में हो तो व्यक्ति यहां वहां भटकने से बच सकते है। भजन 1 के अनुसार परमेश्वर चाहता है कि धर्मशास्त्र हमारे घर के बुनियाद बन जाए। अकसर टीवी और सिनेमा बुरी सलाह से मन को भरमा देते है। परन्तु जो घर वचन पर स्थापित है वह़ बना रहेगा।7. सहभागिता (Communion)
यदि सहभागिता न हो, आपसी वार्तालाप न हो तो फिर परिवार टूटने लगता है। अंग्रजी में कहावत है "The family that prays together stays together" अर्थात जो परिवार मिलकर आराधना करता है वह मिलकर साथ रहता है। परमेश्वर के साथ हमारी सहभागिता हो और यह एक दूसरे के साथ की सहभागिता का सही संदर्भ उत्पन्न करेगा।परमेश्वर आपको आशीष दें।
Amen. Very good sermon. Thankyou
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