परमेश्वर को सदा धन्य कहना।
(भजन 103: 1-5)
हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।।
अपने मन को आदेश दें की मन परमेश्वर को धन्य कहें
- क्योंकि मन सब से अधिक धोखा देने वाला है
- कयोंकि मन परमेश्वर को धन्यवाद देने से पीछे हट जाता है
“और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो। और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो” (इफि 5:19-20)
“मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ” (कुलु 3:16)
परमेश्वर को धन्य कहना है,
सम्पूर्णता से. जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! यदि कुछ हममे ऐसा है जो उसके पवित्र नाम को धन्य नही कह सकता तो आज सम्पूर्ण समर्पण की आवश्यक्ता है।
स्मरण करके. उसके किसी उपकार को न भूलना। अपने आप को उसकी भलाई याद दिलाने से स्वयं में गवाही होता है जिससे विश्वास मजबूत होता है। याद रखें कि वह हमारे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है। जब निराशा और अविश्वास का बादल छा जाएं तो अपने मुकुट को याद रखें।
परमेश्वर की आशीषें जो हमें मिलि है
क्षमा - वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता
स्वास्थ्य, सेहत - तेरे सब रोगोंको चंगा करता है
सुरक्षा - वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है
संतुष्टि - वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थोंसे तृप्त करता है
वह हमें सम्पूर्ण रीति से आशीषित करता है। इसलिए आईए हम सम्पूर्ण जीवन से और उसके भलाईयों को स्मरण करते हुए उसे धन्य कहते रहेा
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