विश्‍वास के आश्‍चर्यकर्म (यूहुन्‍ना 6: 1-14)


पाठ: यूहुन्‍ना 6: 1-14


Joh 6:1 इन बातोंके बाद यीशु गलील की झील अर्थात तिबिरियास की झील के पास गया।
Joh 6:2 और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली कयोंकि जो आश्‍चर्य कर्म वह बीमारोंपर दिखाता या वे उन को देखते थे।
Joh 6:3 तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपके चेलोंके साय वहां बैठा।
Joh 6:4 और यहूदियोंके फसह के पर्ब्‍ब निकट या।
Joh 6:5 तब यीशु ने अपनी आंखे उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपके पास आते देखा, और फिलप्‍पुस से कहा, कि हम इन के भोजन के लिये कहां से रोटी मोल लाएं
Joh 6:6 परन्‍तु उस ने यह बात उसे परखने के लिये कही? क्‍योंकि वह आप जानता था कि मैं क्‍या करूंगा।
Joh 6:7 फिलप्‍पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को योड़ी योड़ी मिल जाए।
Joh 6:8 उसके चेलोंमें से शमौन पतरस के भाई अन्‍द्रियास ने उस से कहा।
Joh 6:9 यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्‍तु इतने लोगोंके लिये वे क्‍या हैं।
Joh 6:10 यीशु ने कहा, कि लोगोंको बैठा दो। उस जगह बहुत घास यी: तब वे लोग जो गिनती में लगभग पांच हजार के थे, बैठ गए:
Joh 6:11 तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठनेवालोंको बांट दी: और वैसे ही मछिलयोंमें से जितनी वे चाहते थे बांट दिया।
Joh 6:12 जब वे खाकर तृप्‍त हो गए तो उस ने अपके चेलोंसे कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।
Joh 6:13 सो उन्‍होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियोंके टुकड़े जो खानेवालोंसे बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं।
Joh 6:14 तब जो आश्‍चर्य कर्म उस ने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे? कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला या निश्‍चय यही है।


1 विश्‍वास का अलौकिक दृष्टिकोण

Joh 6:7 फिलप्‍पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को योड़ी योड़ी मिल जाए।
Joh 6:8 उसके चेलोंमें से शमौन पतरस के भाई अन्‍द्रियास ने उस से कहा।
Joh 6:9 यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्‍तु इतने लोगोंके लिये वे क्‍या हैं।
Joh 6:10 यीशु ने कहा, कि लोगोंको बैठा दो।

शिष्‍य स्‍वाभाविक बुद्धि के अनुसार सोच रहे थे। परन्‍तु यीशु विश्‍वास का अलौकिक दृष्टिकोण रखे।


2 विश्‍वास का अंगिकार वचन

Joh 6:10 यीशु ने कहा, कि लोगोंको बैठा दो।

शिष्‍य भय के नकरात्‍मक शब्‍द कह रहे थे। यीशु ने विश्‍वास के शब्‍द कहा।

3 विश्‍वास का आदर्श कार्य

Joh 6:11 तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठनेवालोंको बांट दी: और वैसे ही मछिलयोंमें से जितनी वे चाहते थे बांट दिया।

विश्‍वास कर्म बिना अधूरा एवं मरा है। यीशु ने विश्‍वास के अनुसार कार्य किया। क्‍या आप विश्‍वास करते है और उसके अनुसार कदम लेते है।

4 विश्‍वास की असीमित सामर्थ

Joh 6:12 जब वे खाकर तृप्‍त हो गए तो उस ने अपके चेलोंसे कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।
Joh 6:13 सो उन्‍होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियोंके टुकड़े जो खानेवालोंसे बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं।

यीशु के लिये कुछ भी असम्‍भव नही। यीशु पर विश्‍वास करने वालों के लिये, अर्थात उसकी इच्‍छा के पालन करने वालों के लिये, भी कुछ असम्‍भव नही।

यीशु पर विश्‍वास करें और आज एक महान आश्‍चर्यकर्म अपने जीवन में देखें।

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