The Person of Christ (Masih ka Vyakti)

निकिया के संघोष्टि (345 ईसवी) में अरियस के गलत शिक्षाओं के विरोध में यह धर्मवैज्ञानिक कथन पर मुहर लगा:
परमेश्‍वर पुत्र प्रभु यीशु मसीह त्रिएक परमेश्‍वर के हर व्‍यक्ति के साथ

1. सहशास्‍वत
2. सहस्‍वरूप - सहतात्विक
3. सहसमान है।
अर्थात कोई किसी से निम्‍न या उच्‍च नहीं।

खलसिदोन की संघोष्टि (451 ईसवी) में पादरियों की बैठक ने मसीह के ईश्‍वरीय एवं मानवीय स्‍वभाव के विषय में यह बयान जारी किया: मसीह का ईश्‍वरीय और मानवीय स्‍वभाव

1. अमिश्रित
2. अपरिवर्तनीय
3. अखण्‍ड
4. अविभाजनीय हैं।


वह संपूर्णत: ईश्‍वर एवं संपूर्णत: मनुष्‍य हैा उसके देहधारण में न तो दैवीय स्‍वभाव में परिवर्तन हुआ न तो मानवीय स्‍वभाव में कोई परिवर्तन हुआ।

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