प्रवेशिका
श्रेष्ठगीत पुस्तक की रचना इस्राएल के मधुर गायक राजा दाउद के पुत्र राजा सुलेमान द्वारा हुई। इस पुस्तक पर काव्य रूप में ये शब्द उचित बैठते हैं: ‘वाक्यम रसात्मक काव्यम’। अपने पिता दाउद के रसात्मक काव्य का प्रभाव सुलेमान पर बाल्यकाल से ही पड़ चुका था। इस पुसतक की काव्यात्मकता और साहित्यिक रस को बढ़ाने में ईश्वरीय ज्ञान और प्रेरणा का सुलेमान के जीवन में अनुपम प्रभाव पाया जाता है। सम्पूर्ण पुस्तक असंख्य आत्मिक शिक्षाओं और प्रेरणाओं से भरी पड़ी है जो कि साहितियक दृष्टि से अमूल्य है। साहित्य प्रेमियों ने यदि इस पुस्तक को नहीं पढ़ा है तो उनके लिए एक बड़ी हानि है। प्राचीन से ही देखा गया है कि पत्रकारिता में विद्धता हासिल करने वालों तथा अन्य लेखकों ने भी श्रेष्ठगीत पुस्तक का अच्छा अघ्ययन किया।
हमारे महाविधालय में तो अग्रेजी साहित्य पढने वाले शिक्षक विघाथियों को सलाह दिया करते थे कि सम्पुर्ण बाइबिल की एक एक प्रति अपने पास रखें तथा रखें तथा उसे घ्यान से पुरा पढे। शयद यही कारण है कि आज भारत से भी अनेक अन्य धर्मावलम्बी भी बाइबिल का अच्छा ज्ञान रखते है। भ्ले वह मात्र ज्ञान ही क्यों न हो अर्थात व्यवहारिकता से परे। परन्तु परिणयगाथा आपके ज्ञान को प्रगढ करेगी तथा उस छिपे हुए रहस्य और कलीसिया तथा मसीह के बीच पवित्र सम्बन्ध की स्पष्ट झलक प्रस्तुत करेगी।
लेखक: राजा सुलेमान (यह नाम 7 बार लिया गया है। 7 प्रमाणिकता को दर्शाती है।)
राजा सुलेमान का नाम इस पुस्तक में सात बार लिया जाता है जो कि प्रमाणिकता को सिद्ध करने वाली संख्या है।
पृष्ठभूमी:
राजा सुलेमान सांवले रंग की एक ग्रामीण कन्या द्वारा तिरस्कृत किया गया। उन्होंने अपनी कमजोरियों को छिपाना मुनासिब नहीं जाना, परन्तु उदार दिल से महापुरूषों की तरह अपने काव्य में उंडेल दिया।
इस कृति का नाम श्रेष्ठगीत इब्रानी भाषा के आधार पर पड़ा। ऑरिगन जेरोम के अनुसार कहा जाता है कि तीस वर्ष की आयु से कम वाले यहूदियों को इस पुस्तक को पढ़ने की आज्ञा नही थी। केवल परिपक्व यहूदी ही अलंकारिक भाषा में लिखित इस पुस्तक द्वारा पवित्र प्रेम के मर्म का अध्ययन कर सकते थे।
यहूदियों की परम्परानुसार यह गीत यहूदी लोग फसह के पर्व पर गाया करते थे। आर्कवार रबी के अनुसार इस्राएल के लिए श्रेष्ठगीत की प्राप्ति का दिन सारे संसार की प्राप्ति के दिन से भी अधिक महत्व रखता है। केवल इतना ही नहीं, यह पुस्तक परम पवित्र भी मानी जाती है।
(संपादक: इससे यह कदाचित तात्पर्य नही की अन्य बाईबल के पुस्तक कम पवित्र है। श्रेष्ठगीत की महत्ता अन्य सांसारिक कृतियों के मध्य अपरिमित है।)
इस पुस्तक में जिस प्रेमी की चर्चा की गई है, यह विवादित है। कुछ तो मानते है कि प्रेमी राजा सुलेमान थे, और कुछ मानते है कि यह नायक एक गुमनाम चरवाहा है। परन्तु अनेक स्त्रियों का ब्याहने वाले राजा सुलेमान कैसे अद्वैत प्रेम कर सकता है: ‘मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल अद्वैत है’ (श्रेष्ठ. 6:9)। प्रेयसी भी एक अपने प्रेमी के लिए कहती है: वह अपनी भेड़ बकरियों का सोसन के फूलों के बीच में चराता है (श्रेष्ठे. 2:16)। यह कथन तो सुलेमान के विषय में नही कहा जा सकता। श्रेष्ठनगीत में अनेक स्थानों पर अन्तर्साक्ष्यों द्वारा यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि शुलेमी का प्रेमी राजा सुलेमान नहीं परन्तू एक चरवाहा है।
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