श्रेष्‍ठगीत - सार

श्रेष्‍ठगीत का सार

कुरियन थामस 

पलश्‍तीन देश के उत्‍तरी भाग में गिलबोहा पर्वत के सामने इस्‍साकार गोत्र के स्‍थान पर सुनेम (शुलेम) नामक एक गांव था। कार्मेल पर्वत से सोलह मील दूरी पर स्थित इस गांव की एक रूपवती युवती (शूलेमन) भेड़ बकरियां चराती थी। जब वह भेड़ बकरियां चराने के कार्य में व्‍यस्‍त थी तभी उसकी भेंट एक गडरिये से हुई। बस पहिली ही भेंट में गडरिये ने शुलेमी के हृदय में प्रेम के बीज बो दिये। प्यार के बीजों में अंकु फूटे और वे दोनों एक दूसरे को इतना चाहने लगे कि एक दूसरे के बिना उनका रहना मुश्किल हो गया। उन्‍होंने परिणयबंधन का निर्णय किया। ऐसे मधुर बंधन के इन्तजार में जब यह युवती अपना समय बिता रही थी तभी राजा सुलेमान उस स्थान से गुजरे। राजा सुलेमान के अभिवादन में गीत गाने के लिए कुछ तरूण युवतियां एकत्र हुई जिनमें यह युवती भी थी। अन् अनेक युवतियों के बीच में घिरी इस सांवली युवती शुलेमी की सुन्दरता पर राजा सुलेमान मोहित हो गया तथा उसके रूप और सदगुणों की चाहत से खिंचकर राजा उसे अपने महल में ले आया।

शुलेमी तो पहले ही अपना हृदय उस गडरिये को समर्पित कर चुकी थी फिर राजा की प्रेयसी क्‍यों कर बनती शुलेमी ने राजा सुलेकान की इच्‍छा का भरपूर विरोध किया; और दूसरी ओर यरूशलेम की पुत्रियों ने भी प्रयत्‍न किया कि शुलेमी राजा से आकर्षित हो और राजपत्‍नी बने। यरूशलेम की पुत्रियों ने उसे खूब समझाया की राजपत्‍नी होने पर उसे क्‍या क्‍या लाभ होंगे, और राजा की भव्‍यता और प्रतापमय कार्यों के वर्णन द्वारा शुलेमी के दिल में राजा के लिए प्रेम पैदा करने की कोशिश करती रही, परन्‍तु लबानोन के राजमहल में रहने वाली इस गा्मीण कन्‍या के दिल पर राजा की भव्‍यता और ऐश्‍वर्य का किंचित भी असर नहीं पड़ा। उसका प्रेम तो दिन प्रतिदिन उस गडरिये के लिए बढ़ता ही गया। राजा सुलेमान ने देखा कि उस चुवती का प्रेम स्थिर और सच्‍चा है। अपनी हार मानकर उस युवती की प्रशंसा की और उसे स्‍वतंत्र कर दिया। इस प्रकार उस युवती को अपने चहैते प्रेमी चरवाहे के साथ परिणय का अवसर मिला।

कलीसिया से यीशु ख्रीष्‍ट के पवित्र प्रेम का समानान्‍तर अर्थ और प्रतीक इस पुस्‍तक में देखने को मिलता है। कलीसिया ने भी इसी प्रकार मसीह अर्थात उस प्रधान गडरिये से उसकी मुहब्‍बत के बदले उससे प्रेम करते का वादा किया तथा उसी को अपना दिल समर्पित किया। श्रेष्‍ठगीत पुस्‍तक का अध्‍ययन मसीह और कलीसिया के बीच पवित्र बंधन के सन्‍दर्भ में ही किया जाना चाहिए। अय्यूब की पुस्‍तक में क्‍लेश का अनूठा वर्णन नीतिवचन से जीवन का स्‍पष्‍टीकरण, तथा सभोपदेशक से ईश्‍वरीय भलाई का वर्णन मिलता है। नीतिवचन तथा श्रेष्‍ठगीत हमारी बुद्धि को उत्‍तेजना प्रदान करते हैं तथा श्रेष्‍ठगीत की विशेष प्रेरणा हृदय के लिए है कि वह प्रेम के निवास स्‍थान पर ही रहे।

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