स्वर्गदूत अमर स्वर्गीय प्राणी हैं जिन्हे परमेश्वर ने बनाया (प्रकाश.19:10;22:8-9;कुलु.2:18;लूका 20:34-36) उन्हे “सेवा टहल करनेवाली आत्माएं” कहा गया है (इब्रा.1:14) वे अलैंगिक एवं अनेक है (लूका 20:34-35; दानि.7:10; इब्रा.12:22) स्वर्गदूतों के अलग-अलग प्रकार है। करूब परमेश्वर की वाटिका एवं उपस्थिति में नियूक्त किए गये हैं (उत्प. 3:24; निर्ग.25:22; यहेज.28:13,14) सेराफ (अर्थात “जलने वाले”) को हम यशायाह 6:2,3 में परमेश्वर की आराधना करते हुए देख सकते हैं। प्रधान स्वर्गदूत दो हैं, मीकाईल, जो योद्धक दूतों का प्रधान है (यहूदा 1:9; प्रकाश.12:7) एवं जिब्राईल, जो परमेश्वर का संदेशवाहक है (लूका 1:19; दानि.8:16; 9:21) स्वर्गदूत “चुने हुए स्वर्गदूतों” के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि उनका स्थान परमेश्वर की उपस्थ्िाति में है (1तिम.5:21) शैतान, जो अपने पतन के पूर्व अभिषिक्त करूब था, उसके बलवा के समय वे परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य रहे।
स्वर्गदूतों के पास बुद्धि है (2शम.14:17; 1पत.1:12), वे परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हैं (भजन 103:20), परमेश्वर के सम्मुख में आदरमय भक्ति के साथ खड़े रहते हैं (नहे.9:6; इब्रा.1:6), वे दीन हैं (2पत.2:11), सामर्थी हैं (भजन 103:20), एवं पवित्र हैं (प्रकाश.14:10) वे परमेश्वर के सेवक हैं और परमेश्वर की ही आज्ञा के अनुसार कार्य करते हैं (इब्रा.1:14; भजन 103:20)
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