दुष्टात्माएं वे दूत हैं जिन्होंने उस प्रधान दूत लूसिफर के साथ मिलकर परमेश्वर का विरोध किया था जो शैतान, अर्थात विराधी, पुराना अजगर, परखनेवाला, दुष्ट, संसार का हाकिम, इस संसार का ईश्वर, हत्यारा, एवं झूठों का पिता के नाम से जाना जाता है (यशा.14/12-15; यह.28:12-19; यूह.12:31; 2कुरू.4:4; मत्ति.4:3; 1यूह.5:19; यूह.8:44) इस कारण से इन प्रेत आत्माओं के विषय में कहा गया है कि वे वही स्वर्गदूत है जिन्होंने “अपने पद को स्थिर न रखा” (यहूदा 6) वे गिरे हुए स्वर्गदूत हैं। वे परमेश्वर के कार्य का विरोध करते हैं (1थिस्स.2:18), लोगों को भरमाते हैं (प्रकाश.20:7-8), घमण्डी हैं (1तिम.3:6), अभक्ति को बढ़ावा देते हैं (इफि.2:2), क्रूर हैं (1पत.5:8), दोषारोपन करते हैं (अय्यूब 2:4), और मनुष्यों को अनेक वेदनाओं एवं बिमारियों से पीडित करते हैं (प्रेरित 10:38; मरकुस 9.25) वे अविश्वासियों के शरीरों को कबज़ा करते हैं (मत्ति 8:16), किसी व्यक्ति में प्रवेश कर सकते हैं (लूका 22:3), किसी व्यक्ति के विचार को प्रभावित कर सकते हैं (प्रेरित 5:3), एवं जानवरों के शरीरों को भी वश में कर सकते हैं (लूका 8:33)
एक विश्वासी कभी भी दुष्टात्माओं से ग्रसित नही हो सकता हैं क्योंकि उसका शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर हैं और उस में दुष्टात्माओं के लिए कोई जगह नही हो सकता (1कुरू.6:19; 10:21)
दुष्टात्माएं भी परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और उसके सन्मुख् में भय के साथ थरथराते हैं (याकूब 2:19) शैतान और उसके दुष्ट दूत परमेश्वर के न्याय के प्रतीक्षा में ही हैं (मत्ति 8:29; प्रकाश. 20:10) यीशु मसीह के विश्वासियों को पुकारा गया है कि वे परमेश्वर के आधीन हो जाएं और शैतान का सामना करें (याकूब 4:7) विश्वासियों का एक चिन्ह यह है कि वे दुष्टात्माओं को निकालेंगे (मरकुस 16:17)
दुष्टात्माओं को निकालना
1. एक विश्वासी के पास दुष्टात्माओं को निकालने का मसीह द्वारा दिया गया अधिकार है (मत्ति 10:1,8; मरकुस 16:17) इस अधिकार का स्रोत मसीह यीशु ही है।
2. मसीह ने दुष्टात्माओं को परमेश्वर के आत्मा के द्वारा निकाला (मत्ति 12:28); इसलिए, एक विश्वासी के लिए आवश्यक है कि वह आत्मा से परिपूर्ण चाल चलें (गल.5:25)
3. प्रार्थना, उपवास एवं परमेश्वर के प्रति संपूर्ण समर्पण अनिवार्य है (मरकुस 9:29; याकूब 4:7)
4. विश्वासी को आत्माओं की परख के वरदान के लिए प्रार्थना करना चाहिए (1कुरु.12:10)
5. उसे दुष्टात्माओं के साथ, सामान्यत:, बात नही करना चाहिए (मरकुस 1:24) वे भरमाने वाली आत्माएं हैं।
6. विश्वासी इन प्रेतात्माओं को यीशु के नाम से निकालें (प्ररित 16:18)
7. दुष्टात्माओं को निकालते समय अपने आंखों को बंद न रखें; आप आदेश दे रहे हैं, प्रार्थना नही कर रहे; कभी कभी यह पाया गया है कि दुष्टात्माएं आक्रामक हो जाते हैं (मत्ति 17:15; प्रेरित 16:18)
8. विश्वासी दुष्टात्माओं को यह अनुमति न दें कि वे उसके विश्वास को, जो परमेश्वर, उसके वचन, एवं मसीह के पवित्र आत्मा की सामर्थ पर है, कमज़ोर करें। संदेह शैतान का एक महत्वपूर्ण शस्त्र है (उत्प.3:1; मत्ति 4:3-10)
9. हर छुटकारे की सेवकाई के दौरान परमेश्वर के सेवकों के मध्य क्रम एवं अनुशासन होना चाहिए; एक अधिकार के साथ सेवा करें और अन्य उसे प्रार्थना के द्वारा समर्थित करें (1कुरू.14:33)
10. सब प्रकार के ताबीज या जादू टोनें के चीजों को शरीर से दूर करें अन्यथा छुटकारे का कार्य नही होगा। इन चीजों को रखने के द्वारा व्यक्ति शैतानी ताकतों के लिए गढ़ स्थापित करता है (प्ररित 19:19)
11. छुटकारे पाए हुए व्यक्ति को पापों का अंगीकार, मन फिराव, एवं पवित्र आत्मा की भरपूरी में अगुवाई करें ताकि दुष्टात्माओं के लौटने की गंभीर दशा उत्पन्न न हों (मत्ति 12:44,45) पवित्रता का जीवन एवं परमेश्वर की इच्छा में बना रहना आदेशित हैं (1यूह. 5:18)
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