बाईबल हमें सिखाती है कि परमेश्वर जगत का सृष्टिकर्ता हैं (उत्प.1:1) सृष्टिकर्ता के रूप में वह सृष्टि के समान नही हैं – अर्थात वह अजन्म, अनादी, एवं अनंत हैं (निर्ग.15:18; व्यवस्था.33:27) बाईबल यह भी सिखाती है कि परमेश्वर आत्मा है (यूह. 4:24) किसी ने भी परमेश्वर को कभी नही देखा क्योंकि वह अदृश्य है (कुलु.1:15; 1तिम.1:17) परमेश्वर सर्वोपस्थित है, (भजन 139:7-10), सर्वसामर्थी हैं (मत्ति 19:26), एवं सर्वज्ञानी है (लूका 12:2)
परमेश्वर एक है, जिससे पहले तो यह तात्पर्य है कि वह अखण्ड है, फिर यह कि उसके तुल्य और कोई दूसरा नही जो “परमेश्वर” नाम से जाना जा सके। एक ही परमेश्वर है (व्यवस्था.4:35) परमेश्वर जीवन का दाता है (अय्यूब 33:4) परमेश्वर जगत का शासक एवं न्यायाधीश है, जगत उसी का है (भजन 10:16) वह मनुष्यों के हर विचार, वचन, एवं कर्मों का आंतिम न्याय के दिन में हिसाब लेगा (2पत.3:7)
बाईबल सभी मनुष्यों को आदेश देती है कि वे परमेश्वर के सम्मुख में अपने आप को भय, भक्ति, पापों से फिराव, एवं आज्ञाकारी विश्वास के साथ अपने आप को समर्पित करें (सभो.12:13; प्रेरित.17:30)
बाईबल सिखाती है कि परमेश्वर हमारा पिता है (मत्ति6:9; प्रेरित.17:29) जो हमसे शाश्वत प्रेम करता है (यिर्म. 31:3) वह नही चाहता है कि हम अपने पापों में (उन बुरे विचारों एवं कार्यों के चलते जिसके हम दोषी है) नाश हो जाए । इसलिए, परमेश्वर ने मानव रूप धारण किया ताकि क्रूस पर हमारे पापदण्ड सह कर उस बलिदान के द्वारा वह हमारे लिए एक उद्धार का मार्ग बनाएं। इसलिए, परमेश्वर ही हमारा एकमात्र उद्धारकर्ता है (यहूदा 1:25) जो कोई दिल से इस सच्चे परमेश्वर से प्रार्थना करता है, उसकी प्रार्थना तुरन्त सून ली जाती है क्योंकि परमेश्वर की उपस्थिति हर जगह पर है और वह हमारे स्वांस से भी अधिक हमारे करीब है (भजन 34:17; 130:1) जो कोई उस परमेश्वर से कहता है कि “प्रभु, मै अपने पापों के कारण शर्मिंदा हूँ, मुझे माफ कर”, उसके पाप मिटा दिए जाते हैं (भजन 103:12) यह क्षमा और जीवन में नई शुरुवात प्रभु यीशु मसीह (जो परमेश्वर का स्वरूप है और हमारे उद्धार के लिए आज से 2012 वर्ष पूर्व मानव रूप में प्रगट हुआ) के उस बलिदान के कारण हमे उपलब्ध किया गया जिसके द्वारा उसने पाप और मृत्यु के पुराने जगत का अंत किया और अपने पुनुरुत्थान (मृतकों में से तीसरे दिन जी उठने) के द्वारा हमारे लिए नया जीवन का प्रबन्ध किया।
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