बाईबल मसीह यीशु के विश्वास द्वारा उद्धार पाने के लिए परमेश्वर द्वारा दिया गया शिक्षण ग्रंथ है (2तिम.3:15) यह उन पवित्र लोगों के द्वारा लिखी गई थी जो पवित्र आत्मा की भविष्यद्वाणी के अभिषेक के द्वारा चलाये जाते थे (इब्रा.1:1; 2पत.1:20,21) इसलिए, यह परमेश्वर का प्रेरित वचन के रूप में जाना जाता है (2तिम.3:16) बाईबल को हम सांसारिक रीति से नही समझ सकते हैं। उद्धार के निमित शिक्षा हमें पवित्र आत्मा के द्वारा प्राप्त होता हैं (1कुरु.2:10-16) इसलिए, एक अनात्मिक व्यक्ति अत्मिक बातों को न तो समझ सकता है न उनहें ग्रहण कर सकता है। केवल बाईबल ही दैवीय ज्ञान का एकमात्र अभ्रांत (तृटि रहित) स्रोत है जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों को दिया है (प्रकाश.22:6)
बाईबल या पवित्र शास्त्र यीशु मसीह के विषय में गवाही देती है (यूह.5:29; गल.3:8); इसलिए, कहा गया है कि “यीशु की गवाही भविष्यद्वाणी की आत्मा है” (प्रकाश. 19:10) विश्वासी को पवित्र शास्त्रों को पढ़ने और अध्ययन करने के लिए बुलाया गया हैं (भजन 1:2) बाईबल के वचनों का तोड़ना मरोड़ना या उसमें अन्य बातों को जोड़ना या उसमे से निकालना सख्त रूप से प्रतिबंधित हैं (2पत.3:16; प्रकाश.22:18;19)
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